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4 गरीबों की गई जान , खुद को बचा लिया बिल्डर अकरम निर्बान

जे जे मार्ग पुलिस थाने की हद में और पुलिस थाने से महज चंद कदमों के फासले पर यह इमारत है जहां की टंकी में घुसने की वजह से 4 मजदूर मौत के मुंह में चले गए मुंबई पुलिस ने इस मामले में जांच कर रही है लेकिन जानकारी में जो बातें सामने आई हैं उसमें इसे एक्सीडेंटल डेथ यानी ADR की खानापूरी कर सकती है। और कार्रवाई जिन लोगों पर भी लेकिन बिल्डर को आंच तक नहीं आएगी यह वादा रहा ।क्योंकि सम्बंधित बिल्डर अकरम निर्बान के सहयोगी नबील खान उस तबके को मैनेज करने का ठेका लेकर इन 4 लोगों की मौत पर। बिल्डर अकरम निर्बान के सामने ढाल बन कर खड़ा है।नबील कौन है यह भी जल्द ही जानकारी दी जाएगी।
बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के अनुसार, यह घटना ९/३/२०२५ दोपहर करीब 12:29 बजे हुई जब कुछ कर्मचारी नागपाड़ा स्थित बिस्मिल्लाह स्पेस बिल्डिंग में एक पानी की टंकी...मुंबई के नागपाड़ा में रविवार को डीमटीमकर रोड पर गुड लक मोटर ट्रेनिंग स्कूल के पास एक निर्माणाधीन इमारत के पानी के टैंक की सफाई के दौरान दम घुटने से 4 मजदूर मौत के मुंह में चले गए ।
Fire 🚒 department अधिकारियों ने बताया कि जैसे ही घटना की सूचना मिली, वह तुरंत जाए वारदात पर पहुंचे और मजदूरों को पानी की टंकी से बाहर निकाला. एक बीएमसी अधिकारी ने बताया, 'यह घटना बिस्मिल्लाह स्पेस बिल्डिंग में हुई जो नागपाड़ा इलाके में डिमटीमकर रोड पर गुड लक मोटर ट्रेनिंग स्कूल के पास स्थित है. मुंबई फायर ब्रिगेड (MFB) द्वारा मजदूरों को इलाज के लिए जेजे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनमें से 4 को मृत घोषित कर दिया.
मुंबई पुलिस ने घटना की जानकारी देते हुए कहा, 'आज सुबह करीब 11-11.30 बजे, 4 मजदूर दम घुटने के कारण मृत पाए गए, जब वे जेजे मार्ग पुलिस थाने के अंतर्गत मस्तान तालाब के पास, डिमटीमकर रोड पर, बिस्मिल्लाह स्पेस नामक एक निर्माणाधीन इमारत में किसी काम के लिए भूमिगत पानी की टंकी में घुसे थे. 5वां व्यक्ति ठीक है, उसे जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. आगे की जांच की जा रही है.'
गौर करने वाली बात है कि बीएमसी किसी भी इमारत के निर्माण के लिए जब भी CC यानी कमेंसमेंट सर्टिफिकेट देती है तब किसी भी गड़बड़ी या हादसे के लिए बिल्डर दोषी रहेगा ये शर्त लिखती है ।इसके साथ कामगार आयुक्त यानी लेबर कमिश्नर की सलाह भी इस मामले मे लेना चाहिए क्या इस मामले मे जेजे पुलिस बीएमसी से सीसी की कॉपी लेकर बिल्डर अकरम निर्बान की जिम्मेदारी की जांच करेगी ? यह अहम सवाल है क्योंकि मामला यहां उस तबके का है जिसे मजदूर कहा जाता है जो 2000 किलोमीटर यानी पश्चिम बंगाल से अपना सफर तय कर सपनों की इस मायानगरी में प्रवेश करते हैं लेकिन यह उनके सपनों को कैसे अपनी लापरवाहियों और रुपयों की खनक से चकना चूर कर देत हैं ज़ाहिर सी बात है जिंदगी दोबारा नहीं दी जासकती लेकिन ऐसे बिल्डरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सलाखों के पीछे भेजने का काम पुलिस जरूर कर सकती है लेकिन अहम सवाल यह भी है कि इस बस्ती में गरीब की मौत कितनी सस्ती है कि उनके लिए न कोई यूनियन है न कोई लीडर न ही कोई इंश्योरेंस पॉलिसी जो जीवन के साथ और जीवन के बाद फॅमिली का साथ दे । तो इनके लिए आवाज कौन उठाएगा । जब ऐसी हालत में इनकी मौत होती है तो  बिल्डर हाथ खड़े कर  खुद को पुलिस और कानून की पहुंच से दूर कर लेता है।
 और जिस पुलिस थाने की बागडोर खुद बिल्डर संभाले तो भला पुलिस की क्या बिसात की इन गरीबों के मौत के ज़िम्मेदारों और सौदागरों को सलाखों के पीछे पहुंचा सके।
पिछले साल अप्रैल में मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में सीवर में उतरने से पांच सफाई कर्मचारियों की मौत के बाद महाराष्ट्र सरकार ने सेप्टिक टैंकों और सीवर लाइनों की मैन्युअल सफाई के लिए नगर निकायों और जिला कलेक्टरों को नए दिशानिर्देश जारी किए थे. महाराष्ट्र के शहरी विकास विभाग ने दिशानिर्देश में कहा था कि ऐसी सीमित जगहों की सफाई के लिए मशीनों का इस्तेमाल किया जाए. सफाई कर्मचारियों को केवल तभी सेप्टिक टैंकों और सीवर लाइनों में उतारा जाए, जब बहुत जरूरी हो.
नए दिशा-निर्देशों में कहा गया था कि सफाई कराने वाली संस्था या व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी कर्मचारी के प्रवेश करने से पहले सीमित स्थान की गहराई मापी जाए. यह भी सुनिश्चित करने के लिए स्थान की जांच हो कि वहां जहरीली या ज्वलनशील गैस न बन रही हो, जो आमतौर पर कार्बनिक पदार्थों के डिकम्पोज होने से उत्पन्न होती है. राज्य सरकार ने यह भी कहा था कि सफाई कर्मचारियों के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मैकेनिकल वेंटिलेशन की व्यवस्था की जाए. हालांकि, ये दिशानिर्देश सिर्फ हवा हवाई ही साबित हो रहे हैं, इस तरह की घटनाएं अब आम हो चुकी हैं और जब मामला बिल्डिंग या बिल्डर से जुड़ा हो तो जाहिर सी बात किसी की मौत पर भी नियम कानून को धोखा देकर किसी को भी बलि का बकरा बनाया जा सकता है और इस गुड पेच से बिल्डर सुरक्षित रहता है यही मामला यहां भी है।

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